काश कि मैं एक परी होती

काश की मैं एक परी होती
और मैं भी अनोखे सपने बुनती
कभी हंसती कभी रोती
काश प्यार के मोती मैं भी पिरोती
कभी नाचती कभी गाती
महफिलो में जाके प्यार के नग्मे सुनाती
कभी सुंदर बागों में महकते फूलों में रहती
सुनसान घाटियों में पानी के झरने में बहती
कभी राह चलती ऊँचे ऊँचे पर्वतों की
उड़ान भरती उन्मुक्त आसमानों की
कभी घर घर में जाके लोगों के मन हरती
और फिर सब घरों को एक करती
काश कि मैं भी एक परी होती
और मैं भी अनोखे सपने बुनती
।।।नीलम रावत।।।
15/08/2016

Post a Comment

Post a Comment (0)

Previous Post Next Post