भटकती जिंदगी को ठिकाना कहा मिलेगा
अब खुशी का वो फ़साना कहा मिलेगा
खिलखिला उठे धरती गगन
अब हंसी का वो बहाना कहा मिलेगा
ओंस से भीगा मौसम सुहाना कहा मिलेगा
हर सुबह चिड़ियों का चहचहाना कहा मिलेगा
हिला दे जो मन के हर कोने को
अब तराना वो पुराना कहा मिलेगा
फूलों में भवरों का गुनगुनाना कहा मिलेगा
मेरी शरारतों का अफसाना कहा मिलेगा
यूँ अकेली हूँ इस पथ पर में
तुझे पढूं साथ अपने ऐसा सफरनामा कहा मिलेगा
अब नई नवेली कली का यूँ शर्माना कहा मिलेगा
मेरे बिछड़े यारों का याराना कहा मिलेगा
हाये वो मेरे घर की छत औ अलसायी शाम
वो मस्त हवा के झौंकों का सरसराना कहा मिलेगा
#नीलम_रावत
Neelam rawat
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