अब तलक खामोश थे तुम ,बोलने की बारी अब तुम्हारी||
लो सुना दो आ गयी मैं सुनने को 'समीरा' तुम्हारी||
लो सुना दो आ गयी मैं सुनने को 'समीरा' तुम्हारी||
तोड़ तो अब मौन मुख का,दिल खोल के अब बोल दो ll
शब्द और शब्दांश का अब इक अनोखा मोल दो ll
शब्द और शब्दांश का अब इक अनोखा मोल दो ll
जो जहन में बात है सब आज लफ्जों में उतारो ll
बेबाक हो जाओ आज तुम कुछ न सोचो न विचारो ll
बेबाक हो जाओ आज तुम कुछ न सोचो न विचारो ll
काव्य सागर से मिलन को तरसे है सरिता न्यारी ll
लो सुना दो आ गयी मैं सुनने को 'समीरा' तुम्हारी ll
लो सुना दो आ गयी मैं सुनने को 'समीरा' तुम्हारी ll
चाह की प्रतिचाह की या सुनाओ आस और विश्वास की ll
छटपटाहट देख लो तुम नीले ये आकाश की ll
छटपटाहट देख लो तुम नीले ये आकाश की ll
मनगढंत किस्सा सुनाओ या संवेदना अभिलाष की ll
बात होनी चाहिये पर अब धरा के प्यास की ll
बात होनी चाहिये पर अब धरा के प्यास की ll
शीत से कंपकंपाती पवन अब सुन रही अलसी वेचारी ll
लो सुना दो आ गयी मैं सुनने को 'समीरा' तुम्हारी ll
लो सुना दो आ गयी मैं सुनने को 'समीरा' तुम्हारी ll
सात परियों की सुनाओ या राजा रानी की कहानी ll
चंद लफ्जों में इस वातावरण को कर दो अपनी जुबानी||
चंद लफ्जों में इस वातावरण को कर दो अपनी जुबानी||
चर्च मस्जिद का इतिहास बोलो या व्याख्यान कर दो शिवालों का||
वर्णन समंदर की गहराई का करो या बतादो संक्षेप हिवालों का||
वर्णन समंदर की गहराई का करो या बतादो संक्षेप हिवालों का||
सुनके शब्दों को तुम्हारे डोल उठेगी ये धरती सारी||
लो सुना दो आ गयी मैं सुनने को 'समीरा' तुम्हारी ll
लो सुना दो आ गयी मैं सुनने को 'समीरा' तुम्हारी ll
हुस्न की शायरी, कोई गजल, नगमा कोई प्रेम का||
हास्य का कोई पद सुनाओ का व्यंग्य कोई वहम का||
हास्य का कोई पद सुनाओ का व्यंग्य कोई वहम का||
रस अलंकारों से सजे बन्धो का तुम गुण गान करदो||
सुनाओ कोई गीत अब मेरी भी बात का मान करदो||
सुनाओ कोई गीत अब मेरी भी बात का मान करदो||
ये सुहानी भोर चंचल और मखमली फूलों की क्यारी||
लो सुना दो आ गयी मैं सुनने को 'समीरा' तुम्हारी ||
लो सुना दो आ गयी मैं सुनने को 'समीरा' तुम्हारी ||
नीलम रावत
Bhut hi sunder :)
ReplyDeleteShukriya❤
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