केदारनाथ की महानता : केदारखंड में उद्धृत है :
"पुरातन: यथाहं वै तथा स्थानमिदं कील
यदा सृष्टि क्रियाचं मया वाई ब्रहमूर्तिना
स्थितंत्रेव सततं परब्रह्म जिगिषया
तदादिकमिदं स्थानम देवनमपि दुर्लभं"
भगवान शिव पार्वती जी से कहते हैं की जैसे मैं
सबसे प्राचीन हूँ , उसी प्रकार यह केदारखंड भी सबसे प्राचीन है। जब मैंने ब्रह्मामूर्ति धारण कर सृष्टि रचना में प्रवृत्त हुआ,तब मैंने इसी स्थान की सर्वपर्थम रचना की। उसी दिन से यह स्थान विधमान है एवं इसकी प्राप्ति देवताओ को भी दुर्लभ है।
"कथयस्वम महादेवा बिस्तरकानम: क्षेत्रकं
केदरनाम यत्रोक्तं स्वर्ग मोक्षप्रदायकम
कानि कानि च तीरथनिरवतनते तत्र नायक:
किम पुण्यं किंफलम चात्रीस्नान दाने महेशर:"
पार्वती जी एक दिन शिवजी से बोलती है की हे प्रभु मोक्षदायक केदारक्षेत्र सभी तीर्थों में क्यों उत्तम है? हे प्रभु! इस केदार क्षेत्र का महात्म्य बताओ ?
तब महादेव बोलते हैं सुनो पार्वती मुझे तुमसे भी अधिक प्रिय ये केदार क्षेत्र है।जब से ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करी तबसे मेरी भूमि यही है। जो भी प्राणी यहाँ आकर देह त्यागते हैं वे सब शिव रूप हो जाते हैं।
शंकर जी ने पार्वती को बताते हुए कहा हे देवी! जैसे पवित्रता में तुम ,देवताओ में विष्णु , नदियों में पुण्य गंगा ,पर्वतों में कैलास ,योगियों में यञवल्क्य ,भक्तों में नारद, शिलाओं में शिलग्राम अरण्यों में बदरीवन, धेनुओं में काम धेनु मनुष्यों में ब्राह्मण ब्राह्मणों में ज्ञानी, प्रियजनों में पुत्र, पदार्थों में स्वर्ण, मुनियों में शुकदेव ,सर्वज्ञों में व्यास, देशों में भारतवर्ष, शिलाओं में शालिग्राम, देवराजाओं में इंद्र, वसुओं में कुबेर,पुरियों में कशी, अप्सराओं में रम्भा,तथा गंधर्वों मेमे तुंबरू सर्वश्रेष्ठ है ,उसी प्रकार केदार क्षेत्र भी सर्वश्रेष्ठ है और हे पार्वती ! मुझे कैलाश के समान ही केदार भूमि भी प्रिय है। . इस प्रकार केदार भूमि के बारे में वेदों और पुराणों में अनेक रहस्य हैं।
जय भोले नाथ जय बाबा केदार जय बदीनाथ
नीलम रावत
8 Comments
Bhut khub
ReplyDeleteShukriya
DeletegAzab oNe oF mY FavRout 💛#bAljEet
ReplyDeleteThank you baljeet❤
DeleteAwsme
ReplyDeleteThank yash
DeleteBahut khoobsurat👏👏
ReplyDeleteबहुत खूब
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