तुम रथ सम्भालो, जिज्ञासाओं के शब्दों की टंकार सुनो
नव युग अब आने वाला है तुम इस युद्ध का सार सुनो
मेरे लिखे हुए पर तुम भी नए नए लेख गढ़ो
विजय कलम ने दिलवाई है इतना तुम ध्यान रखो
तलवारों की टंकारों को अब इतिहास में पढ़ो
नव युग आवागमन के पृष्ट दराजों में संभाले रखो
किताबों के पन्ने हो गए भावों से झकझोर
सुनो सारथी रथ दौड़ाओ समर भूमि की ओर
ये युद्ध अमीरी गरीबी के मध्य भेद मिटाने वाला होगा
साहित्य संस्कार सभ्यता व संस्कृति बचाने वाला होगा
मानवता जीतेगी जिसमे युद्ध धरा के नए बसंत का होगा
अधर्म का नाश होगा युद्ध इंसानियत के बैरियों के अंत का होगा
बड़े बड़े सिंहांसनों पर अब जंग भ्र्ष्टाचार मुक्ति का होगा
मिथ्या वचनों से अब जंग नव सृजन की उक्ति का होगा
सातों सूरज उग आये हों या हो अँधियारा घनघोर
सुनो सारथी रथ दौड़ाओ समर भूमि की ओर
बिगुल बजा दो जीत का तुम शंख नाद चहुँ दिशाओं करो
बैठे न रहो शीश झुका कर अपनी वीरता का परिचय दो
तुम शूरवीर योद्धा इस युग के शब्दों को हथियार बनाओ
लिक्खो नव युग का आवागमन कलम को तलवार बनाओ
रह न जाये कलुष धरा पर नव दीपों का आह्वाहन करो
दूर करो करुणा हताशा निराशा तुम नव चेतना के स्वर गान करो
नव दिशाओ में अब खीचों तुम शुभ समय की डोर
सुनो सारथी रथ दौड़ाओ समर भूमि की ओर
नाश करो दरिद्रता का, समृद्धि का विजय गान करो
त्याग करो अधर्म का,तुम धर्म का सम्मान करो
अनैतिकता दूर करो, नैतिक शिक्षा का प्रचार करो
खोलो काली पट्टी अज्ञानता की, ज्ञान का प्रसार करो
नव युग के समरांगण में अब काव्यरथ उड़ान भरेगा
विजय हुंकार के साथ जन समुदाय कलम का सम्मान करेगा
सार समर का कर दो तुम शब्दों से सराबोर
सुनो सारथी रथ दौड़ाओ समर भूमि की ओर
नीलम रावत
अत्यंत ही सुंदर रचना है शिर्षक बहुत सुंदर है और अंतिम पंक्ति लाजवाब ������
ReplyDeleteShukriya ji
Deleteबहुत खूबसूरत। वीर रस के भावों से ओतप्रोत आपकी रचना जैसे रण भूमि में खड़े योद्धा में नवीन ऊर्जा का संचार कर रहा हो। बधाइयां। 💐🙏
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