एक सड़क |हिंदी काव्य| पंकज रावत

 

उबड- खाबड़ कंकरिले पत्थरों की,

 एक सड़क

गाड़ी , घोड़े भी ना जा पाए वैसे  वाली एक सड़क

डांडियों,  कांठीयों की सुगंध के बीच निर्जन पड़ी 

एक सड़क

कोई नहीं है गांव में रह गई बस

 एक सड़क

शोरगुल व्याप्त है लोक में सन्नाटे में हैं एक सड़क

मेरे गांव की एक सड़क।।


विकास की राह तकती रह गई

 एक सड़क

अमात्यों के वादों की भेंट चढ़ गई

 एक सड़क

कई पीढ़ियों के यादों को संजोए है एक सड़क

अपनों के पद चिन्ह को ढूंढती

 एक सड़क 

मेरे गांव की एक सड़क।।


सभ्यता संस्कृति का विनाश देखती एक सड़क

धार,  पंदेरों में लगती द्दुईयो की गवाह एक सड़क

चोबट में लगे बड़ ,पीपल की छांव वाली

 एक सड़क

गांव के गांव बंजर होते देखते एक सड़क


मेरे गांव की एक सड़क ।।



दौड़ते बच्चों की खिलखिलाहटो की गूंज लिए 

एक सड़क

घसेरियों , गो , बखर , बल्द को देखना चाहती है 

 एक सड़क

बांझ पड़ी कुड़ी को एकटक देखती 

एक सड़क

इनके बसने की उम्मीद लगाए 

एक सड़क


मेरे गांव की एक सड़क।।

हुए मुसाफिरों को वापस बुलाती

 एक सड़क 

गांव में फिर से कोलाहल चाहती 

 एक सड़क

अपनी संस्कृति को बचाना चाहती

 एक सड़क

फिर से विरासत संजोना  चाहती है एक सड़क


मेरे गांव की एक सड़क।।।

©®पंकज रावत

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