धर्मू का चार - पांच जगह रिजेक्शन हो चुका था शादी के रिश्ते के लिए । अब धर्मू के मन में भय , टेंशन और तनाव उत्पन्न हो गया था । दिन भर सोच में ही डूबा रहता । दरअसल बात ये थी कि धर्मू की उम्र बढ़ती जा रही थी और शादी कू लिए रिश्ता जो था कि तय होने का नाम नहीं ले रहा था, अच्छी- खासी जाब और सैलरी पैकेज के बावजूद भी। और टेंशन होना भी जायज था, आखिर उसके भी कुछ अरमान थे औरौं की तरह उसका सपना भी था कि उसका भी प्रिवैडिंग शूट हो अलग- अलग रोमांटि पोज में (टाइटेनिक वाला पोज तो उसका ड्रीम पोज था बस इंतजार था तो किसी "केट विंसलेट" की ऐंट्री का) , धूमधाम से उसकी शादी हो और हनीमून पर शिमला की वादियों में जाए । मैट्रीमोनियल साइट पर भी रजिस्ट्रेशन किया था। हर दिन इसी आस में रहता कि कहीं तो बात बन जाये, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था।
एक दिन धर्मू के मन में न जाने क्या पुलाव पका , अचानक उसने प्लान किया कि अब वह अगले दिन से जिम जाएगा और अपने फिजीक पर ध्यान देगा। उसका मानना था कि शायद फिजिक कंट्रोल्ड न होने के कारण ही उसे हर बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ रहा है। तो धर्मू अगले दिन सुबेरे उठा, और जिम में दाखिला लेने गया सीधे । जिम तो बहुत सारे थे धर्मू के आसपास, लेकिन धर्मू हाइटेक जिम में ही गया क्योंकि उसे वो रिलायेबल लगा , छोटे मोटे जिमखानों पर उसे विश्वास नहीं था। तो जाते ही जिम के काउंटर में रजिस्ट्रेशन की बात हुई। कुछ इनक्वाइयरी हुई धर्मू की । उसे सिगरेट पीने के लिए बिल्कुल मना कर दिया और जंक फूड खाने के लिये भी मना कर दिया। धर्मू ने भी हामी भर दी भारी मन से । वैसे तो सिगरेट और जंक फूड के बिना धर्मू रह नहीं पाता था । सिगरेट, शराब और जंक फूड ये सब ही धर्मू के फेवरेट थे।
जब से ये स्विगी जोमैटो शुरू हूए हैं न तब से धर्मू की तो मानो चांदी हो गयी। हर दिन आर्डर करवा लेता था फास्ट फूड, कभी भी जब भी मन करे, इसकी कोई तय समय सीमा नहीं थी। सब उल्टा पुल्टा खाकर धर्मू के पेट का ढोल हो गया था पूरा।
लेकिन, शादी के लिये इतने रिजेक्सशन के बाद अब धर्मू ने ठान लिया था कि अब तो ससुरा कुछ भी हो जाए वो अपने को मैंटेन करेगा। 'अपने मोहल्ले का टाईगर श्रौफ बन के दिखाऊंगा इन बेवखूफ नासमझ लड़कियों को, तब देखता हूं कैसे रिजेक्शन होता है,' धर्मू मन ही मन में सोच रहा था!' । धर्मू ने रजिस्ट्रेशन फीस सहित तीन महीने का ऐडवांस पेमेंट दे आया जिम को पूरे साढ़े पाँच हजार। उसी दिन बिना ज्यादा सोचे अंडों की क्रेट , स्पोर्ट सूज , ट्राउजर हैडफोंन खरीद लिये। पूरी तैयारी के साथ तैयार था धर्मू । धर्मू को देखकर सबको यही लग रहा था कि ये जरूर कुछ कमाल करेगा, अब तो घोड़ी चढ़ कर ही मानेगा लड़का। तीन दिन तक लगातार धर्मू सुबेरे छै बजे उठकर जिम जाता है और चौथे दिन बस समझो की सारे समझौतों का चौथा हो गया था। किसी दोस्त ने कहा, ''चल यार धर्मू बहुत दिन हो गए हैं, दारू नहीं पी मूड़ रिफ्रेश करते हैं । एक बार को तो धर्मू ना बोला, लेकिन थोड़ा और रिक्वेस्ट करने पर मान भी गया। तो महफिल शुरू हुई, खूब दारू - सारू, चिकेन मुर्गा और सिगरेट के कश पे कश लग रहे थे। आधी रात तक महफिल चलती रही फिर सब सो गए और सुबेरे सब देर से उठे । धर्मू के जूते, हैडफोन उसका मुंह ताक रहे थे लेकिन धर्मू की हिम्मत हुई नहीं उठने की। और इस तरह धर्मू अपने आप से ही हार गया था । अब हर दो दिन में महफिल लगने लगी। तो कुल मिलाकर धर्मू एक हफ्ता भी जिम नहीं गया , भले पैसे पूरे देकर आया था। लेकिन रिश्ते ढ़ूंढना तो अभी भी जारी था धर्मू का, क्यूंकी धर्मू का भगवान पर पूरा भरोसा था । उसने वो कहावत अच्छे से सुनी थी कि रिश्ते तो उपर से बनके आते हैं। तो अब उसका मानना था कि जो ईश्वर की ड्यूटी है उसके लिये उसे फालतू मेहनत करने की जरूर क्या है।
और इस तरह से धर्मू के जिम का पुळ्याट तीन दिन में ही खल्मच्याण हो गया था !
राहुल.
������ बहुत बढ़िया, लिखते रहो
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